लेखनी प्रतियोगिता -कुछ नया
नये साल में कुछ नया नया हो तो कुछ बात अच्छी लगे
पुराने ज़ख्मों पे मरहम नया लगे तो कुछ बात अच्छी लगे,
किसी को खाना हज़म नहीं तो किसी को रोटी न मिले
ये भेद अगर मिट जाये तो कुछ बात अच्छी लगे,
दिन रात चोरी हत्या बलात्कार की खबरों से रंगे
अखबारों में अब कुछ सुखद छपे तो कुछ बात अच्छी लगे,
खुले आसमां के नीचे कैसे कटती हैं सर्द भरी रातें
फुटपाथ पे सोए को आसरा मिले तो कुछ बात अच्छी लगे,
कहीं बाढ़ कहीं अकाल ये कैसे करिश्में हैं सब
अगर ये सब बाज़ी पलटे तो कुछ बात अच्छी लगे,
कहर बहुत बरपाया कुदरत ने पिछले सालों में,
ख़ौफ़नाक मंज़र अब कभी न हो तो कुछ बात अच्छी लगे,
बिन माँ बाप कैसे गुज़रती होगी ज़िन्दगी उनकी
किसी मासूम पर से साया नहीं उठे तो कुछ बात अच्छी लगे,
वही शहर वही गाँव वही सबकुछ दहशत भरी दिखे
अमावस की रात में चाँद निकले तो कुछ बात अच्छी लगे,
भीड लगी हैं फरिश्ता बन दिखावा करने की यहाँ लोगो की
आदमी पहले इंसान बने तो तब कुछ बात अच्छी लगे,
Shashank मणि Yadava 'सनम'
06-Jan-2023 03:30 AM
Wahhhh wahhhh Bahut hi उम्दा सृजन,, its outstanding
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Rakesh rakesh
04-Jan-2023 02:10 AM
👌👌👌👌🙏🙏
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Abhinav ji
03-Jan-2023 07:46 AM
Very nice👍👍
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